लग जा गले” केवल एक गीत नहीं है ! यह एक भावना है

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लग जा गले” केवल एक गीत नहीं है – यह एक भावना है, एक ऐसा जादुई संगीत जो पीढ़ियों को पार कर चुका है। स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी द्वारा गाया गया यह अमर गीत 1964 की फिल्म वो कौन थी? से है और इसे भारतीय सिनेमा के सबसे सुंदर और रोमांटिक गीतों में गिना जाता है।

तो आइए जानते हैं, इस गीत के पीछे की कुछ अनकही और रोचक बातें – और कैसे बना यह एक कालजयी कृति

फिल्म – वो कौन थी? (1964)

Woh Kaun Thi निर्देशक राज खोसला द्वारा निर्देशित यह एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर थी जिसमें साधना और मनोज कुमार मुख्य भूमिका में थे। फिल्म हिट रही, लेकिन इसकी सबसे बड़ी पहचान बनी इसका मधुर और भावपूर्ण संगीत।

संगीतकार – मदन मोहन

“लग जा गले” की आत्मा हैं संगीत के उस्ताद मदन मोहन जी, जिन्हें हिंदी सिनेमा का “ग़ज़ल सम्राट” भी कहा जाता है। उन्होंने एक ऐसी धुन रची जो नाज़ुक थी, भावपूर्ण थी – और उसे आवाज़ देने के लिए उन्होंने चुना लता जी को।

लता जी और मदन मोहन जी का रिश्ता बेहद खास था। लता दीदी ने एक बार कहा था, “मदन भैया मेरी आवाज़ को मुझसे बेहतर समझते थे।”

स्वर – लता मंगेशकर

“लग जा गले” को लता जी ने मात्र एक टेक में रिकॉर्ड किया था। यह उनकी प्रतिभा, भावनाओं की गहराई और गायकी की परिपक्वता को दर्शाता है। उनकी आवाज़ इस गीत को अमर बना देती है

गीतकार – राजा मेंहदी अली खान

“लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो ना हो…” ये पंक्तियाँ क्षणभंगुर प्रेम की सुंदरता और दर्द को व्यक्त करती हैं। इस गीत के बोल सीधे दिल को छूते हैं और एक ऐसी रात का जिक्र करते हैं जो शायद फिर कभी न आए।

दृश्य जादू – साधना की अदाकारी

अभिनेत्री साधना की मासूम अदाओं और खूबसूरत अभिव्यक्ति ने इस गीत को पर्दे पर जीवंत कर दिया। काले-सफेद छायांकन, धुंधली रात और उनकी अदाकारी – सब कुछ इस गीत को दृश्य रूप से भी अविस्मरणीय बनाते हैं।

कुछ कम ज्ञात तथ्य (Trivia):

  • यह गीत शुरुआत में फिल्म में शामिल नहीं होने वाला था। निर्देशक को लगा कि इससे फिल्म की गति धीमी हो जाएगी, लेकिन मदन मोहन जी के ज़ोर देने पर इसे रखा गया।
  • यह गीत लता मंगेशकर जी के व्यक्तिगत पसंदीदा गीतों में से एक था।
  • इसे एक ही सत्र में लाइव म्यूज़िशियनों के साथ रिकॉर्ड किया गया था, बिना किसी डिजिटल एडिटिंग के।
  • आज भी यह गीत सबसे अधिक स्ट्रीम किए जाने वाले पुराने बॉलीवुड गीतों में से एक है।

क्यों आज भी ये गीत दिलों को छूता है“लग जा गले” हमें एक ऐसे पल की याद दिलाता है जिसे हम खोने से डरते हैं – अलविदा कहने का पल। यह प्यार को थामने और उसे पूरी शिद्दत से जीने का गीत है। लता जी की आवाज़ सिर्फ गाती नहीं – महसूस कराती है।

निष्कर्ष: एक अनमोल धरोहरकुछ गीत बनाए नहीं जाते – वे जन्म लेते हैं। “लग जा गले” ऐसा ही एक गीत है। यह लता मंगेशकर जी की गायकी, मदन मोहन जी की धुन और राजा मेंहदी अली खान की शायरी का एक दिव्य संगम है।

जब भी आप प्यार में हों, या किसी को मिस कर रहे हों – यह गीत हमेशा आपके दिल की बात कह देगा।

क्या आप जानते हैं – आज तक कई नए कलाकारों ने इस गीत को कवर किया है, लेकिन लता जी के वर्जन की भावनात्मक गहराई कोई नहीं छू पाया।

स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी की अमर धरोहर से जुड़ी और भी रोचक कहानियों के लिए स्वर्णिम धरोहर लता फाउंडेशन के साथ बने रहें।

– स्वर्णिम धरोहर लता फाउंडेशन टीम